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राम -लेखन




राम -लेखन     (दोहे)


राम राम लिखते रहो, जपो राम का नाम।

राम नाम के जाप में, छिपा राम का धाम।।


लिखते -लिखते राम को, होत लेखनी सिद्ध।

जीवन में आनंद ले, लेखक होत प्रसिद्ध।।


लेखन की यह चरम गति, लिखत लेखनी राम।

करती रहती राम को,दिल से सतत प्रणाम।।


लिखनेवाला राम को, पा जाता है राम।

लेखन से श्री राम के, मन पाता विश्राम।।


लेखन है श्री राम का, सब लेखन के बाद।

लिख-लिख-लिख श्री राम, होत जीव आजाद।।


राम आदि में अंत में,और मध्य में राम।

कण-कण में प्रभु राम का,स्थित पावन धाम।।


अति पावन इस नाम को, लेनेवाला धन्य।

बनता क्रमशः एक दिन, अति पावन चैतन्य।।


रोम-रोम में राम का, होता अमिट प्रवेश।

जिह्वा देती रात-दिन सतत राम-संदेश।।


लेखन से श्री राम के,मिलता ज्ञान प्रकाश।

अनुदिन बढ़ता प्रेम है,दिव्य भक्ति आकाश।।




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1 Comments

Sachin dev

14-Dec-2022 03:28 PM

Amazing

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